logo
back-arrow
श्री. अशोक मोरे
परभणी, महाराष्ट्र.
 
फसल का प्रकार : कपास
खेत का कुल क्षेत्रफल : 4 एकड़
display-image
श्री अशोक मोरे हर साल कई खरीफ और रबी फसलों की खेती करते रहे हैं। वह हर साल अपनी 3.5 एकड़ से 4 एकड़ ज़मीन पर कपास की खेती करते हैं।कपास की खेती करते समय वह NH545 प्रकार के बीजों का इस्तेमाल करते हैं जो कि सूखे की खेती के लिए सबसे बढ़िया होते हैं। अपने खेत में बीमारियों और कीटों के कारण उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। साथ ही उनके पास एक सूखे का खेत है, इसलिए उन्हें पानी का बेहद कुशलता के साथ प्रबंधन करने की ज़रूरत थी क्योंकि पानी की कम आपूर्ति या भारी बारिश फसलों को बर्बाद कर सकती थी।
श्री मोरे ने पिछले खरीफ के सीजन में बायोफिट प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना शुरू किया। उन्होंने पौधों के विकास के चरणों के दौरान 3 बार बायोफिट स्टिमरिच और बायो-99 का छिड़काव किया। इससे कपास के पौधों को बेहतर तरीके से बढ़ने में मदद मिली। साथ ही संवेदनशील पानी की सूखे की स्थिति के दौरान भी फसलें सेहतमंद नज़र आईं। इससे फूलों का गिरना भी कम हो गया था।शुरुआती महीनों में ड्रिप इरीगेशन के ज़रिये बायोफिट NPK और बायोफिट SHET का इस्तेमाल किया गया, इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिली। इससे उन्हें रासायनिक उर्वरको पर हो रहे अपने खर्च को भी कम करने में मदद मिली।
बायोफिट प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के पहले और बाद में-
पहले कपास की फसल :
  • प्रति एकड़ लागत: रु. 20,000
  • औसत पैदावार: 8 क्विंटल प्रति एकड़
  • बिक्री दर: रु. 5,500 प्रति क्विंटल
  • कुल उत्पादन: रु. 44,000
  • प्रति एकड़ शुद्ध लाभ: रु. 24,000
बायोफिट के साथ कपास की फसल:
  • प्रति एकड़ लागत: रु. 24,000
  • औसत पैदावार: 11 क्विंटल
  • बिक्री दर: रु. 5,600 प्रति क्विंटल
  • कुल उत्पादन: रु. 61,600
  • प्रति एकड़ शुद्ध लाभ: रु. 37,600
उन्होंने चूसने वाले कीटों के प्रवेश को रोकने के लिए 2 बार बायोफिट इन्टैक्ट का छिड़काव किया। इससे मदद मिली और पड़ोसी खेतों की तुलना में वे चूसने वाले कीटों से सुरक्षित थे।