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श्री. जनार्दन गणपतराव सावंत ,
नांदेड़, महाराष्ट्र.
 
फसल का प्रकार : पपीता
खेत का कुल क्षेत्र - बागवानी 16 एकड़, कृषि 2 एकड़
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श्री जनार्दन गणपतराव सावंत ने अपने पपीते के फल की खेती के लिए उपयुक्त देखरेख, उर्वरकों और पानी के साथ-साथ बायोफिट प्रोडक्ट्स का उपयोग करना शुरू कर दिया। उन्होंने पौधों के विकास के चरणों के दौरान 5 से 6 बार बायोफिट स्टिमरिच और बायो 99 का छिड़काव किया। जिससे उनके पौधों के सेहतमंद विकास में मदद मिली। बायोफिट INTACT को धन्यवाद, जिससे उन्हें अपने पड़ोसी किसानों की तुलना में परजीवियों से जुड़ी समस्याओं का कम से कम सामना करना पड़ा। अन्य कीटनाशकों पर होने वाले उनके खर्चों में भी भारी कमी आई और इससे उनके पपीते के फलों पर मधुमक्खियों द्वारा ज़्यादा परागण को बढ़ावा मिला। उन्होंने हर 15-20 दिनों में बायोफिट व्रैप अप का उपयोग करके छिड़काव/स्प्रेयिंग और टपकाव/ड्रिपिंग की तकनीक से अपने पौधों और फलों को फफूंद के हर संक्रमण से भी बचाया।
श्री सावंत अपने पपीते के पौधों के लिए रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक उर्वरकों का उपयोग करने के इच्छुक थे। उन्होंने ड्रिप सिंचाई के माध्यम से बायोफिट N, P और K के साथ ही SHET प्रोडक्ट्स का उपयोग किया जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार हुआ। जैसे-जैसे मिट्टी से पौधों तक पोषक तत्वों की आपूर्ति में सुधार होता गया, फल बड़े और भारी होते गए।
श्री. सावंत की पपीते के फल की पैदावार, बायोफिट प्रोडक्ट्स का उपयोग करने से पहले और बाद में
पहले :
  • प्रति एकड़ भूमि पर कृषि उत्पादन की लागत : रु. 1,10,000/-
  • औसत पैदावार : 21 टन (1.5 किलोग्राम/फल)
  • बिक्री की दर : रु. 10/किग्रा.
  • प्रति एकड़ शुद्ध लाभ : रु. 1,00,000/-
  • मिट्टी की स्थिति : मिट्टी सख्त थी, पानी देने के बाद क्षार होने से सफ़ेद दिखती थी।
बाद में :
  • प्रति एकड़ भूमि पर कृषि उत्पादन की लागत : रु. 1,15,000/-
  • औसत पैदावार : 24.5 टन (प्रति फल रु. 1,800/- से रु.2000/-)
  • बिक्री की दर : रु. 12/किग्रा.
  • प्रति 1.5 एकड़ शुद्ध लाभ : रु. 1,75,000/-
  • मिट्टी की स्थिति : मिट्टी की सफ़ेदी कम हो गई।
इसलिए इस साल, श्री सावंत बायोफिट प्रोडक्ट्स का उपयोग करने के बाद उपज को देखकर बेहद संतुष्ट थे। श्री सावंत ने 2.5 एकड़ भूमि में 58 टन पपीते की पैदावार की। साथ ही, पपीते के एक फल का औसत वज़न लगभग 1.8 से 2 किलोग्राम था। इसे वह बाज़ार में रु. 12/ किलोग्राम की दर से बेच सकते थे।