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पंकज कुमार सिंग,
किशनगंज, बिहार.
 
फसल का प्रकार : चाय
खेत का कुल क्षेत्रफल : 25 एकड़
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पंकज कुमार सिंग ने अपने चाय के बागानों में पत्तियों की पैदावार बढ़ाने के लिए उर्वरकों का सहारा लिया, जिसके कारण उन्हें अधिक मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग करना पड़ा। इस तरीके के चलते उनकी खेती का खर्च बढ़ गया और निवेश की तुलना में पत्तियों की पैदावार भी पर्याप्त नहीं थी। चाय की पत्तियों की गुणवत्ता एक बड़ी समस्या बन गई और बाज़ार में पत्तियों का विक्रय मूल्य उनकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं मिल पा रहा था।
तभी उन्हें नेटसर्फ प्रोडक्ट्स के बारे में पता चला और उन्होंने अपने चाय बागानों में इनका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। फसल कटाई के एक दिन बाद, उन्होंने बायोफिट व्रैप-अप और बायोफिट बायो-99 का इस्तेमाल किया। साथ ही, पत्तियों के खिलने के 6 से 7 दिन बाद, उन्होंने बायोफिट स्टिम रिच और बायोफिट बायो-99 का इस्तेमाल किया। जब पत्ते 2 इंच से 3 इंच आकार के हो गए तब उन्होंने एक बार फिर बायोफिट N.P.K. और बायोफिट S.H.E.T. का उपयोग किया।

बायोफिट प्रोडक्ट्स के उपयोग के पहले बड़े पैमाने पर यूरिया का उपयोग किया जाता था, लेकिन बायोफिट के इस्तेमाल के बाद यूरिया का उपयोग बहुत कम हो गया। इस वजह से नए पत्तों की शाखाओं में बहुत ज़्यादा वृद्धि हुई। जैसे ही पत्तियाँ हरी और सेहतमंद हुई, पत्तियों की गुणवत्ता और पोषक तत्वों में सुधार हुआ। उन्हें उपज के बाज़ार मूल्य से कहीं बेहतर मूल्य मिला।
चाय की पत्तियों के उत्पादन की पिछली पैदावार और बायोफिट पैदावार के बीच तुलना-
पिछला चाय का उत्पादन :
  • प्रति एकड़ उत्पादन की लागत: रु. 15 से 16 हज़ार
  • औसत उत्पादन: 21 से 23 क्विंटल
  • बाज़ार मूल्य: रु. 12 से 14 प्रति किलो
  • प्रति एकड़ शुद्ध लाभ: रु.26 से 32 हज़ार
बायोफिट से चाय का उत्पादन :
  • प्रति एकड़ उत्पादन की लागत: रु. 10 से 12 हज़ार
  • औसत उत्पादन: 28 से 30 क्विंटल
  • बाज़ार मूल्य: रु. 14 से 16 प्रति किलो
  • प्रति एकड़ शुद्ध लाभ: रु.36 से 44 हज़ार
वहीँ रासायनिक उर्वरकों से फसल और मिट्टी को होने वाले नुकसान में भी कमी आई। पंकज कुमार इन प्रोडक्ट्स के उपयोग से बेहद संतुष्ट हैं और अब वह चाय की बागानी करने वाले अन्य किसानों को भी बायोफिट प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं।