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श्री. सुदर्शन कंजले
नांदेड़, महाराष्ट्र.
 
फसल का प्रकार : हल्दी
खेत का कुल क्षेत्रफल : 9 एकड़
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नांदेड़, महाराष्ट्र के श्री सुदर्शन कंजले एक अनुभवी किसान हैं जो अपनी 1.5 एकड़ भूमि में कुछ वर्षों से हल्दी की फसल की खेती कर रहे हैं। इसके लिए वह नियमित रूप से गोबर की खाद और रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते रहे हैं।
बायोफिट प्रोडक्ट्स का उपयोग : नेटसर्फ के डायरेक्ट सेलर्स की सलाह से उन्होंने पिछले साल से खेत में बायोफिट प्रोडक्ट्स का उपयोग करना शुरू कर दिया। उन्होंने फसल की अंकुरण की प्रक्रिया के दौरान बायोफिट स्टिमरिच और बायोफिट व्रैप अप का उपयोग किया। इससे प्रक्रिया तेज़ हो गई और अंकुर निर्धारित समय से 5 से 7 दिन पहले ही नज़र आने लगे।

श्री कंजले ने पौधे की 3-4 पत्तियों की स्टेज/अवस्था में 20-25 दिनों के अंतराल से 4 बार बायोफिट स्टिमरिच, बायो-99, बायोफिट SHET का छिड़काव किया। इससे वास्तव में उन्हें हल्दी के पौधों की जड़ों और पत्तियों के सेहतमंद विकास में मदद मिली। पौधों की जड़े आकार में बड़ी विकसित हुई।
श्री. कंजले की हल्दी की पैदावार, बायोफिट प्रोडक्ट्स का उपयोग करने से पहले और बाद में
पहले :
  • प्रति 1.5 एकड़ भूमि पर कृषि उत्पादन की लागत : रु. 60,000/- से रु. 70,000/-
  • औसत पैदावार : 30-35 क्विंटल
  • बिक्री की दर : रु. 6,000/क्विंटल
  • प्रति 1.5 एकड़ शुद्ध लाभ : रु. 1,35,000/-
  • मिट्टी की स्थिति : मिट्टी सख्त थी
बाद में :
  • प्रति 1.5 एकड़ भूमि पर कृषि उत्पादन की लागत : रु. 50,000/- से रु. 55,000/-
  • औसत पैदावार : 42 क्विंटल
  • बिक्री की दर : रु. 6,500/क्विंटल
  • प्रति 1.5 एकड़ शुद्ध लाभ : रु. 1,78,000/-
  • मिट्टी की स्थिति : मिट्टी उपजाऊ थी।
इसके साथ ही, उन्होंने ड्रिप सिंचाई के माध्यम से बायोफिट N, P और K के साथ SHET प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल किया जिससे उन्हें मिट्टी की स्थिति में सुधारने में मदद मिली। इससे उन्हें रासायनिक उर्वरकों पर उनकी निर्भरता कम करने में भी मदद मिली। हल्दी की जड़ों में बढ़ने के लिए अधिक जगह थी क्योंकि मिट्टी उपजाऊ होने के साथ-साथ ढीली थी। श्री सुदर्शन कंजले ने अपनी 1.5 एकड़ भूमि से 42 क्विंटल हल्दी की उपज प्राप्त की।