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श्री. हरिशचंद्र दसाराम टेकाम
भंडारा, महाराष्ट्र.
 

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हरिशचंद्र दसाराम टेकम, पारंपरिक खेती के माध्यम से कम से कम रासायनिक उर्वरकों और दवाओं का उपयोग करके किफायती खेती करने का प्रयास करते हैं। उनकी मुख्य खाद्य फसल, धान हैं। वे धान की फसल को बचाने के लिए कीट एवं रोग प्रबंधन पर काफी खर्च करते थे। टेकम धान की रोपाई करते हैं। वे खेत की मल्चिंग के दौरान धान की खेती के लिए आवश्यक उर्वरकों का उपयोग करते हैं।

इस वर्ष गर्मियों में धान की कटाई करते समय हरिशचंद्र टेकम ने धान-1009 कार किस्म का चयन किया। रोपाई से पहले उन्होंने मिट्टी तैयार करते समय 1 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से बायोफिट एनपीके और बायोफिट शेत जैसे जीवाणु उर्वरकों का इस्तेमाल किया था। उसके बाद उन्होंने 30 दिनों के अंतराल पर 1 एकड़ क्षेत्र में 1-1 लीटर बायोफिट एनपीके और बायोफिट शेत को पानी में मिलाकर इस्तेमाल किया। इससे धान की फसल में जोरदार वृद्धि हुई। इससे रासायनिक उर्वरकों पर होने वाला अतिरिक्त खर्च भी बच गया।

उन्होंने धान की फसल की उचित वृद्धि के लिए नर्सरी क्यारी में धान के पौधों पर बायोफिट स्टिमरिच, बायो-99 और बायोफिट शेत का छिड़काव किया। इस तरह, धान का पौधा, रोपने के लिए 1 सप्ताह पहले ही तैयार हो गया।
धान की पिछली फसल और बायोफिट धान की फसल के बीच अंतर
धान की पिछली फसल :
  • उत्पादन लागत/एकड़: 20,000 रु.
  • औसत उत्पादन/एकड़: 19 क्विंटल
  • बाजार मूल्य/क्विंटल: रु. 1300/
  • कुल आय/एकड़: रु. 24,700
  • शुद्ध लाभ/एकड़ : रु. 4700
बायोफिट धान की फसल :
  • उत्पादन लागत/एकड़ : रु. 26,000
  • औसत उत्पादन/एकड़: 28 क्विंटल
  • बाजार मूल्य/क्विंटल: रु. 1500/
  • कुल आय/एकड़: रु. 42,000
  • शुद्ध लाभ/एकड़ : रु. 16,000
रोपाई के बाद, उन्होंने फिर से 20 दिनों के अंतराल पर बायोफिट स्टिमरिच, बायो-99 और बायोफिट शेत का 2 बार छिड़काव किया। इसलिए इस सीजन में धान की फसल की वृद्धि अनुकूल रही।